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जाकिर हुसैन के प्रेयर मीट में जावेद अख्तर

  • Writer: Unman Ray
    Unman Ray
  • Jan 2
  • 6 min read

आप सोचे तो हमारे घरों में वही चीजें होती है जो आए दिन काम आती है इतने लोग यहां बैठे हैं किसी के घर में कोई ऐसा बर्तन है जिसम 100 आदमी का खाना बनाया जा सके नहीं नहीं हो इसलिए कितनी बार ऐसा होता है आदमी का ना बनाने की जरत पड़े किसी के घर में कोई ऐसा छत होगी अगर भूचाल आ जाए तो इस छ लोहे की छत के नीचे बैठ जाएंगे तो सेफ हो नहीं हम वही चीज रखते हैं जो आ दिन काम आती ऐसा ही भाषा में भी दुनिया की तमाम भाषा हम वही शब्द बनाते और अपनी डिक्शनरी में वही शब्द रखते जो आ दिन काम आए अब एक ऐसा इंसान जो 100 साल स साल दो साल में पैदा हो उसकी तारीफ के लिए हम श नहीं बना होता य है जैसे लोगों की तारीफ करने की कोशिश करते हैं तो हम वो शब्द इस्तेमाल करते हैं जो हम जाकिर से बहुत कमतर लोगों के लिए कर चुके हमारे पास शब्द नहीं होते जो इन लोगों को डिस्क्राइब कर सके इसलिए कौन रखेगा के किताब में पड़ा हुआ है डिक्शनरी में पड़ा हुआ श और 100 साल के बाद इस्तेमाल हुआ तो हमारे पास शब्द ऐसे लोगों के लिए नहीं होते जाकिर साहब के बारे में क्या कहे व एक ऐसा इंसान था जिसका अपने आठ से मोहब्बत कमी नहीं व जब बजाते थे तो आपको अच्छा लगता तो अच्छी बात है आपसे उनका एक अजीब तरह कनेय करमा क्या होता है किसी आर्टिस्ट में होता है किसी पेंटर में होता है किसी पोट में होता है किसी सिंगर में होता है मन में होता है वो करमा क्या है अगर आपको मालूम हो जाए तो करमा नहीं रहे वही जादू है जो उम था उनका कनेक्ट नर से डियस लेकिन एक बात कमाल की यह है कि वो ऐसे बजाते थे कि जैसे य पहली बार मौका मिला है लोगों के सामने बजने ये मोहब्बत जो अपने काम से थी य श जो अपने काम का था वो कवे होता था एक अजीब सुनने वाले का और जाकिर साहब का एक रिश्ता था मुझे लगता है दुनिया में तीन तरह के कलाकार होते कलाकार और उसके साथ जो इंसान है उसके अंदर ये बहुत करीब रहते हैं दूसरे से अलग थोड़ी होते हैं कुछ लोग होते हैं कुछ कलाकार ऐसे होते हैं जो कलाकार तो मामूली होते हैं आदमी बड़ा होता है कुछ ऐसे होते हैं जो कलाकार तो बड़ा होता है आदमी छोटा होता है कुछ कलाकार ऐसे होते हैं जो कलाकार भी बड़ा होता है और आदमी प ब ये जो बड़ा आदमी है और मामूली टैलेंट है वो अपने बड़े होने से अपने स्वभाव से अपने तौर तरीके से अपने पब्लिक रिलेशन से अपने आप को बड़ा बना ले लेकिन य जब तक जिंदा है आदमी तब तक कलाकार है जब वो मर गया तो उसकी कला भी चली जाती है कोई बड़े टैलेंट का आदमी होता है आदमी छोटा है तो उसे अपने फन को नीचे घसीट के लाता है अब कला में बहुत दम तो थोड़ा बहुत ऊपर चली जाए लेकिन असल लोग वो होते हैं जो कलाकार भी बड़े हो और इंसान आज एक ऐसे आदमी कात इक है आज जन्मदिन है जोक कलाकार भी बड़ा था और आदमी बड़ा था उसका नाम था राले पर आज उसका जन्म दिन है और आज हम जिस कलाकार के बारे में बात करने आए है य वो भी एक बहुत बड़ा आदमी था और बहुत बड़ा कलाकार था एक मुझे किस्मत से कई मौके मिले हैं उनके साथ काम करने के एक हमारी दोस्त दुर्गा जसराज ने प्रोग्राम बनाया था जिसका नाम था तिरंगा उसके लिए मैंने पांच कविताए लिखी थी एक नारंगी रंग प एक सफेद रंग प एक हरे रंग पे एक जो हमारे नेशनल फ्लैग में चक्र है उस पर और एक फिर जैसे जुगलबंदी सारे रंगों की होती वो उस तरह से साथ में यह हर सास हर रंग प पंडित जसराज गाते थे नाराय जी पढ़ता था उसके बाद जब मैं वाइट पढता था तो पंडित शिवकुमार या तो बजाते थे या कभी हमारे हरि प्रसाद चया जी उस फलूट से पोयम को इंटरप्रेट करते थे फ श्रीनिवास थे व अपने साथ बते थे और फिर जाकर सा चक्र मैं आपसे यह कोई पट बात कहने की कोशिश नहीं कर रहा हूं या डायलग नहीं बता जाकिर साहब जब तबला बजाते थे तो आपको हिंदुस्तान के नेशनल फल का चक्र सामने दि आप चक्र को देख सकते चम चक्र जिका नारम है ना कोई अंत है चक सम्राट है चर सावंत है जम होती थ और वाक आपको दिखता इसका कोई आरम को और उसके बाद एक मैंने उनके साथ फिल्म भी की है जिसम उन्होने एक्टिंग कैसे गीत बनाते थे वही हम सामने बैठ के दो मिनट में हीने बना दिया इतनी आसानी से सरलता से काम होता थाय बड़ कम मास्टर होते कर सकते अजीब अजीब बातें आजन में आती है बात ल ब साहब ने जो कही बहुत अच्छी बात किस तरह एक आदमी जिसकी जड़ हिंदुस्तानी संगीत में इतनी गहरी व कैसे ज को बछ लेता है इंटरनेशनल म्यूजिक को वेस्टन क्लासिक को भी छता है मुझे सिमली सी जहन में आती है आपने बच्चों को देखा है कि व एक डोरी में कंकर बांधते और उसे अपने सर ऊपर घुमाना शुरू करते हैं धीरे धीरे उस टोरी को छोड़ते जाते धीरे धीरे ऊपर का चक्र बड़ा होता रहता है ये डोरी पत्थर को रोक रही है ये पत्थर कंकर जो हैय दूर जाना चाहता है अगर आप ये री तोड़ देंगे तो पत्थर भी गिर जाएगा अगर आप पत्थर निकाल देंगे तो डोरी इतनी दूर नहीं जा पाएगी ये डोरी ट्रेशन है ये पत्थर रिल्ट है ये तनाव जो है और जो होना चाहिए हमारा नहीं है लेकिन है यह तनाव नई कला प करता है जाकर साहब डिशन से बंधे हुए थे लेकिन उने डोरी में कंकर भी बा दिया इसलिए यशन य डोरी के कंकर की वजह से डिशन जो है पूरी दुनिया में फरी बहुत दूर तक [प्रशंसा] क्या कहे कोई य आजकल तो 73 तो कोई बची नहीं और 73 तो आज वो है जो कभी 50 होती थी लेकिन बल व नहीं रहे लेकिन आपको इतना यकीन दिलाता हूं उनकी याद उनका काम हमेशा रहेगा य व बड़ी अजीब चीज है कभी कभी से किसी वजह से कोई आदमी मशहूर भी हो जाता है पॉपुलर भी हो जाता है दुनिया उसे मानने भी लगती लेकिन अगर उसका टैलेंट न वक्त बड़ा जालिम है उसे धीरे धीरे खत्म कर देता है उसकी याद को मिटा देता है और अगर जनन लेट है सचम बड़ा आमी सा बड़ा होता ही च जाकिर साहब वक्त के साथ बड़े ही होते जाए उनको कोई रोक नहीं सकता है य कहते एंड रा मैं कना र कोईक नहीं वो अपने बुजुर्गों की बहुत इत करते थे मैंने देख य कुछ संस्कार हमारे मुल्को मुल्क के है देश के है सदियों पुराने वो सिमट के सिर्फ संगीत की दुनिया में रहने तो संगीत दुनिया के बाहर इस तरह से सचे दिल से अपने बते हुए लोगों को जरा कमी दे मगर व संगीत की दुनिया में अभी सकार साहब तने बड़ेन मैंने उन्ह दे जब अपने बड़ों की बात करते थे अपने सी की बात करते थे तो किस तरह से कर उनसे मिलते थे उनके सामने जाते थे तो किस तरह कहीं बना ने कहा है आईम हायरन शेक्सपियर बिक आम सिटिंग न शोल्डर ज्यादा डिटेल में नहीं जाऊगा है जाकिर साहब अपने बुजुर्गों के कंधों पर बैठे हुए [प्रशंसा] थे कितनी आद कितनी बातें फन में है लेकिन क्या क्या आदमी कहे कहीं मैंने उनसे पूछा था एक बहुत लंबा इफाक वो आ गया है बरसों के बाद मैं भी भूल गया था एक इंटरव्यू मैंने उनका किया था के लिए एक गुफ्तगू नाम के प्रोग्राम में तो मैंने उनसे पूछा था कि यह घराने क्या होते तो कहने भाई देखिए एक आदमी कोई उस्ताद होता है गुरु होता है फिर उसके कुछ शागिर्द हो जाते हैं और वो उससे सीखते हैं तो वो धीरे धीरे ना बन जाता है हमारे हा राने है और अपना अपना जो उस्ताद का स्टाइल है व बजाते मैंने एक दफ इ से शिवजी से इस बात का जिक्र किया शिवजी कह सही कह लेकिन उन्होंने आपको एक बात नहीं बताई होगी कि जाकिर एक ऐसा तबला नवाज है जो जितने घराने है उन सब घरानों का जो स्टाइल है वो बेहतरीन बजा सकता है एक और दूसरा प्रॉब्लम य है हर घराने का हर तबला बने वाला अब जाकिर बनना चाहता है ऐसे आदमी के बारे में यह सोचे कि उसकी याद को हम संभाल के रखेंगे अरे उसकी याद हमें संभाल के रखे य है जाकिर साहब अपने पीछे बहुत बड़ राना छोड़ गए और मैं ऐ विश्वास रखता हूं वक्त के साथ यह घराना बड़े से बड़ा होता ही जाएगा




আদত ভিডিওটা এখানে এমবেড করে রাখলাম। অনেকটা বড়। টাইমস্ট্যাম্প দিয়েই করেছি। তাই প্লে করলে জাভেদ আখতারের বক্তব্যের শুরু থেকেই শুরু হবে। বাকি অংশ দেখতে চাইলে সীক বারে প্রথমে চলে যেতে হবে।






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